सोमवार, 6 जुलाई 2015

मा.शि.पः जनता के पैसे पर शिक्षा माफियाओं की गुलामी!

माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के बाबू और अधिकारी शासन द्वारा निर्धारित मानकों की अनदेखी कर मानकविहीन विद्यालयों को दे रहे मान्यता।

रॉबर्ट्सगंज तहसील के बहुअरा गांव में संचालित हो रहे मानकविहीन ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और तेन्दू में संचालित हो रहे पं. परमेश्वर प्रसाद मिश्र उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को मान्यता देने में की गई मानकों की अनदेखी।

विद्यालय के नाम भूमि और भवन नहीं होने पर दी गई मान्यता। योग्य अध्यापकों की नियुक्ति और वेतनमान में भी बरती जा रही है लापरवाही।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के अधिकारी और कर्मचारी जनता के हित में काम करने की जगह शिक्षा माफियाओं की गुलामी कर रहे हैं। वे शासन द्वारा निर्धारित मानकों की अनदेखी कर कागजों पर संचालित हो रहे मानकविहीन विद्यालयों को धड़ल्ले से हाई स्कूल और इंटर मीडिएट कक्षाओं के संचालन के लिए मान्यता प्रदान कर रहे हैं। इसके एवज में उन्हें शिक्षा माफियाओं की काली कमाई का एक हिस्सा सुविधा शुल्क के रूप में मिलने की बात कही जा रही है। इसके लिए वे शासन द्वारा निर्धारित किसी भी प्रावधान को शिथिल करने में जरा भी हिचकिचा नहीं रहे हैं। रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के ग्राम पंचायत बहुअरा में संचालित हो रहे ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और भाजपा के एक पूर्व जिलाध्यक्ष के परिवार की ओर से तेन्दू गांव में संचालित हो रहे पं. परमेश्वर प्रसाद मिश्र उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के दस्तावेज कुछ ऐसा ही बयां कर रहे हैं। 

वनांचल एक्सप्रेस के पास मौजूद दस्तावेजों और फोटोग्राफ के मुताबिक रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के बहुअरा गांव में मानकविहीन ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का संचालन वर्ष-2009 से किया जा रहा है (फोटोग्राफ देखें) जबकि माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद की ओर से ग्रामोदय शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बहुअरा, सोनभद्र को बालक विद्यालय के रूप में 21 जनवरी 2010 को परिषद की हाई स्कूल परीक्षा-2011 से सभी अनिवार्य और अतिरिक्त विषयों के साथ वित्त विहीन मान्यता प्रदान की गई। मान्यता प्रदान करते समय सामान्य और विशेष प्रतिबंधों को सुनिश्चित करने का निर्देश विद्यालय प्रबंधतंत्र को दिया गया था। इनमें कक्षा-9 की कक्षाओं का संचालन करने से पूर्व शिक्षण कार्य हेतु भवन की व्यवस्था, साज-सज्जा, शिक्षण सामग्री, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, प्राभूत सुरक्षित कोष एवं योग्य अध्यापकों और उनके वेतन भुगतान की व्यवस्था करने आदि की शर्तें शामिल थीं जिससे जिला विद्यालय निरीक्षक को अवगत कराना था। विद्यालय प्रबंधतंत्र ने आज तक उक्त व्यवस्थाएं मानक के अनुरूप नहीं किया है। 

तत्कालीन और वर्तमान जिला विद्यालय निरीक्षकों की मिलीभगत से विद्यालय की मान्यता बनी हुई है और प्रबंधतंत्र अभी तक विद्यालय का संचालन कर रहा है जबकि बहुअरा गांव में संस्था के नाम से 16 मार्च 2015 तक किसी प्रकार की भूमि पंजीकृत नहीं थी। सभी मानकों की अनदेखी और माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के उच्चाधिकारियों को गुमराह करते हुए विद्यालय प्रबंधक हरिदास खत्री विद्यालय का संचालन कई सालों से कर रहे हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो बालक विद्यालय के रूप में मान्यता होने के बावजदू विद्यालय प्रबंधतंत्र हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की कक्षाओं में बालिकाओं का प्रवेश लेकर उनसे भारी धनउगाही कर रहे हैं। मामले में शिकायत की संभावना होने पर हरिदास खत्री ने 17 मार्च 2015 को बहुअरा गांव स्थित अपनी साढ़े चार बिस्वा भूमि विद्यालय के नाम से बख्शिसनामा कर स्टांप चोरी के रूप में राज्य सरकार को लाखों रुपये का चूना लगाने की कोशिश की। हालांकि भूमि का नामांतरण अभी भी विद्यालय के नाम से नहीं हो पाया है और मामला नायब तहसीलदार, रॉबर्ट्सगंज के न्यायालय में विचाराधीन है। 

वास्तव में विद्यालय प्रबंधक हरिदास खत्री अपने दो भाइयों शिव दास और हरिनारायण की संयुक्त भूमि (करीब नौ बिस्वा) पर उक्त मानकविहीन विद्यालय का संचालन करीब एक दशक से कर रहे हैं और इसकी आड़ में वे पास से गुजरने वाली चंद्रप्रभा नदी की भूमि पर अवैध ढंग से कब्जा कर निर्माण करा रहे हैं। बहुअरा में संचालित हो रहे ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (जहां उच्च प्राथमिक विद्यालय स्तर की कक्षाएं भी संचालित होती हैं) का भौतिक अवलोकन करने पर प्रतीत होता है कि विद्यालय की चहारदीवारी कम से कम तीस बिस्वा जमीन पर निर्मित है जिसमें चंद्रप्रभा नदी की करीब 15 बिस्वा जमीन शामिल है। इसकी शिकायत स्थानीय नागरिकों ने जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री से लिखित रूप से की भी है जिसकी जांच लंबित है। 

इसके बावजूद स्थानीय तहसील प्रशासन को चंद्रप्रभा नदी की भूमि पर अतिक्रमण दिखाई नहीं दे रहा। क्षेत्रीय लेखपाल मंगला यादव विद्यालय प्रबंधक से सांठगांठ कर तहसील प्रशासन समेत उच्चाधिकारियों को गुमराह करने में लगे हैं। सूत्रों की मानें तो इसके एवज में उन्होंने विद्यालय प्रबंधक से सुविधा शुल्क के रूप में मोटी रकम वसूली है। नदी, तालाब और नालों आदि समेत अन्य सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण के संबंध उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट आदेश होने के बावजूद जिला प्रशासन शिक्षा माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकिचा रहा है। इसका फायदा उठाकर वह चंद्रप्रभा नदी की भूमि पर अवैध रूप से निर्माण कराते जा रहे हैं। मामले की शिकायत के बाद भी शिक्षा माफिया विद्यालय की चहारदीवारी और भवन का निर्माण कराता जा रहा है।

दूसरी ओर माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने तेंदू गांव में पं. परमेश्वर प्रसाद मिश्र उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को मानकों को ताक पर रखकर 9 जून 2006 को मान्यता दे दी जबकि यह विद्यालय अब तक कागजों पर संचालित हो रहा है। गौर करने वाली बात है कि जिस स्थान पर विद्यालय के संचालन होने की बात अब तक कही जा रही थी, वह भूमि मंदिर की है। वहां कक्षा-1 से कक्षा-8 तक की कक्षाएं संचालित होती हैं। पं. परमेश्वर प्रसाद मिश्र उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, तेंदू के लिए कभी-कभी एक व्यक्ति वहां रहता है और माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की औपचारिकताओं को पूरा करता है। यह विद्यालय अभी तक पूरी तरह से कागजों पर संचालित होता रहा है और हजारों छात्र कागजों पर इस विद्यालय से पढ़कर परिषद की परीक्षा पास कर चुके हैं और उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं। 

सूत्रों की मानें तो इस शिक्षा-सत्र से यह विद्यालय बभनौली स्थित इलाहाबाद बैंक की शाखा के पास संचालित होने जा रहा है जिसे एक व्यक्ति ने बीस सालों के लिए समझौते पर लिया है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है, यह जांच का विषय है। फिलहाल यह विद्यालय शिक्षा विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से संचालित हो रहा है। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रमेश मिश्रा के पिता इस विद्यालय के प्रबंधक हैं और उनके परिवार के ही लोग इस विद्यालय के प्रधानाचार्य हैं। इस वजह से कोई भी अधिकारी अथवा कर्मचारी इस विद्यालय के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं करता है। फिलहाल उक्त विद्यालयों से पढ़े कई छात्रों का भविष्य प्रमाण-पत्रों की त्रुटियों की वजह से अभी भी अधर में लटका हुआ है जो दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।   

मा.शि.प.बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में मिली खामियां, कई फाइलें जब्त

बोर्ड मुख्यालय में कार्यरत अपर सचिव ने की शिकायतों की जांच। मानकविहीन विद्यालयों को मान्यता देने के मामले में भी हो रही छानबीन।

अनिल कुमार प्रजापति

वाराणसी। माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के स्थानीय कार्यालय में पिछले दिनों परिषद मुख्यालय से आए अपर सचिव ने छानबीन की जिसमें कई प्रकार की अनियमितताएं मिलीं। उन्होंने अनियमितताओं से संबंधित फाइलों को जब्त कर लिया।

गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्थित प्रधान कार्यालय में कार्यरत अपर सचिव राजेंद्र प्रताप पिछले दिनों वाराणसी स्थित परिषद के क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने विभिन्न शिकायतों से संबंधित फाइलों की जांच की और कुछ फाइलों को जब्त कर लिया। सूत्रों की मानें तो सुल्तानपुर में एक ऐसे विद्यालय को मान्यता प्रदान की गई है जिसकी हाईस्कूल की मान्यता निरस्त है। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। 
कुछ ऐसे विद्यालयों को मान्यता देने की शिकायत है जिनके पास मानक के अऩुसार भूमि और भवन नहीं है। अपर सचिव प्रशासन ने मान्यता की फाइलों में से कई फाइलों की जांच गहनता से की। मान्यता अनुभाग के डिस्पैच क्लर्क पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी। उक्त क्लर्क के छुट्टी के आवेदन में भी हेराफेरी कर छुट्टी बढ़ा दी गई है। परीक्षा सामग्री और अंकपत्रों के वितरण के लिए ट्रकों के किराये के भुगतान में भी अनियमितता बरतने और बगैर टेंडर के करोड़ों रुपये के भुगतान का आरोप भी है। अपर सचिव ने कई अन्य अनियमितताओं की जांच की है। जांच रिपोर्ट परिषद के सचिव को सौंपी जाएगी।


वहीं परिषद के क्षेत्रीय कार्यालय, वाराणसी की ओर से सुल्तानपुर और भदोही के दो विद्यालयों को नोटिस जारी किया गया। इसके बारे में क्षेत्रीय सचिव कामता राम पाल ने बताया कि सुल्तानपुर के बाबा परमहंसदास इंटर कॉलेज के प्रबंधतंत्र पर तथ्यों को छिपाकर इंटरमीडिएट की मान्यता लेने का आरोप है जबकि उसकी हाई स्कूल की मान्यता निरस्त है। इस बारे में विद्यालय प्रबंधतंत्र को स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है। भदोही के फैजरुल्ल इस्लाम इंटर कॉलेज पर आरोप है कि विद्यालय के पास मानक के अनुरूप भूमि नहीं है। इस बारे में विद्यालय तंत्र से आख्या मांगी गई है।  

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